मेरी ज़िन्दगी की बस यही बात रही है,
कभी किसी से अपनी ना जज़्बात कही है,
इस से भी ज्यादा क्या सबूत दे अपनी बेबसी का
एक तू ही मेरे पास , मगर तू साथ नहीं है ।।
हर ज़िन्दगी यहाँ दिखती यूँ परेशां सी क्यों है,
लोग अपने ही किये कर्मो से अनजान से क्यों है,
तक़दीर के पन्नो पे लिखी जब बात हर एक है,
मिली जो तुझे ठोकर तो तू हैरान सा क्यों है ।।
वक़्त जो बीत गया वो दिल के करीब है,
जो आज है अपना वक़्त लगता वो अजीब है,
बड़ी दिलचस्प है कहानी अपनी, पर ये बात भी सच है
जो मिल गया या ना मिला अपना नसीब है ।।
हर आँशु के अपने कुछ जज़्बात होते है,
कुछ जज़्बात भी अपने को आँशु में भिगोते है,
अपनी तो ज़िन्दगी का कुछ हाल ऐसा है,
भीड़ में खड़े हस्ते हुए भीतर से रोते है ।।
लोग अक्सर पूछते है क्यों खामोश है इतना ,
अब क्या बताये दिल में भरा दर्द है कितना,
हम चाहते है, मगर हक़ जाता नहीं पाते ,
कहते तो है बहोत मगर कुछ बता नहीं पाते ||
वक़्त तो अपनी चाल से गुज़र ही जायेगा,
अच्छा नहीं ठहरा तो बुरा क्या ठहर पायेगा,
अच्छा बुरा वक़्त तो है लोगो की कसौटी …
जो अच्छे में नहीं डूबा, बुरे में वही पार आएगा ।।
इस ज़िन्दगी को मैंने जितना भी है जाना
इसकी एक सच्चाई को मैंने दिल से है माना
हर चीज़ है अपनी मगर यहाँ अपना कुछ नहीं
ये ज़िन्दगी तो है बस गम और ख़ुशी का फ़साना ।।
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